आज मुझें कुंदन मिला , जो खुद एक हीरा है।

आज मैं कुंदन से मिली, जो ख़ुद एक हीरा हैं….

ये उस दिन की बात हैं जब मैं हॉस्पिटल से घर लौट रहीं थीं। मैंने एक व्यक्ति को देखा, जिससे भगवान कुछ नाराज़ चल रहे हैं, क्योंकि उसके दोनों पैर नहीं थे। उसको कही जाना था पर कोई बस वाला उसे ले जाने को तैयार नहीं था,पर वो भी अपनी ज़िंदगी के संघर्ष से अंजान नहीं था इसीलिए कोशिश करने में लगा हुवा था।उसने एक लड़के को आवाज लगाई और पूछा कौन सी बस जाएगी मेरी मंज़िल पर……
वो लकड़ा साँवले से रंग का , लंबी कद वाला था जिसने होले से कहा पता नहीं और दूर जा खड़ा हुवा।
काफी देर हो गई देखते देखते मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी क्या करूँ ।
फिर अचानक वो साँवला लड़का वापस आके वहीं खड़ा हो गया और उस आदमी को देखता रहा । उसी समय एक Auto वाला रुका , उसको उसी लड़के ने रोका और पूछा भाई इसको इसकी मंज़िल तक पहुँचा दो ,किराया हमसे ले लेना ।
मैं वहाँ खड़ी देखती रह गई,मेरी आँखे नकाब के पीछे मुस्कुरा दी,मैं खुश थी पर परेशान भी की मैंने ये क्यों नहीं किया औऱ इतना सा काम करने के लिए मैं इतना क्यों सोच रही थी।
इसी बीच वो लड़का पीछे पलटा , मैं बिल्कुल उसके सामने खड़ी थीं,जैसे ही उस लड़के से मेरी आँखें मिली मेरे हाथ जुड़ खड़े हुए उसकी तरफ की सुक्रिया आपका… जो मैं सोच नहीं पा रहीं थीं तुमने समझकर कर दिया।
वो मुस्कुराता हुवा आया मेरे पास और बोला क्या करता दुनिया समझती नहीं, कुछ क़ाबिल नहीं कुछ में काबिलयत नहीं दूसरों का दर्द बांटने औऱ समझने की और जो समझ जाएं वो सोचते बहुत हैं, एक बार को लगा वो मेरी ही बात कर रहा हैं, मैं भी तोह उसी दुनिया में से एक हूँ… पर फ़िर इसे भूल मैंने उस लड़के को उसका नाम पूछा

और……
वो हीरा , कुंदन निकला
आज मैं कुंदन से मिली जो ख़ुद हीरा हैं……

About The Author(s)

Share Your Voice

One comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *