“किताब की आवाज “

~~••”किताब की आवाज “••~

अम्बर की ऊँचाई से,
अर्णव की गहराई तक,
रजनी से भोर तक,
माहताब की ज्योत्स्ना से,
आफताब की एक रश्मि हूँ,
रे! मानव समझ मेरी अहमियत को,
मैं भी एक आवाज हूँ!!

अतीत का सार हूँ,
आज का आईना हूँ,
हर लफ़्ज की खामोशी हूँ,
भविष्य का आधार हूँ,
रे! मानव समझ मेरी अहमियत को,
मैं भी एक आवाज हूँ!!

महापुरुषों की वाणी हूँ,
गीता, कुरान और बाईबल की कहानी हूँ,
ख्वाखों और ख्वाईशों का हिसाब हूँ,
हर सवालों का जवाब हूँ,
रे! मानव समझ मेरी अहमियत को,
मैं भी एक आवाज हूँ!!

पंसद तो आती हूँ, समझ में नहीं आती हूँ,
मगर, तनाहाईयों में तेरी जीवनसाथी बन जाती हूँ,
अज्ञानी को ज्ञानी बनाती हूँ,
धरा की धरोहर बचाती हूँ,
रे! मानव समझ मेरी अहमियत को,
मैं भी एक आवाज हूँ!!

वास्तविकता से मिलवाती हूँ,
कर्तव्य -पथ पर चलना सिखाती हूँ,
मानव जीवन में ढलना सिखाती हूँ,
हर कालखण्ड का ज्ञान हूँ,
रे! मानव समझ मेरी अहमियत को,
मैं भी एक आवाज हूँ!!

सिंहासन का ताज हूँ,
हर पद का राज हूँ,
अन्याय का साज हूँ,
और, न्याय का आगाज हूँ,
रे! मानव समझ मेरी अहमियत को,
मैं भी एक आवाज हूँ!!

उन्नति की राह दिखाती हूँ, प्रयोजन निर्धारण करती हूँ,
मानव को मंजिल दिलाती हूँ,
देश -दुनिया की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हूँ,
रे! मानव समझ मेरी अहमियत को,
मैं भी एक आवाज हूँ!!

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