वो-आप
वो आप वो रास्ता था आपका। हमने अपना बना लिया।। वो गली थी आपकी। हमने अपना बना लिया।। वो दिल था आपका। पर रहता कोई और था।। मंजिल थे आप मेरे। पर किसी और ने पा लिया।।
वो आप वो रास्ता था आपका। हमने अपना बना लिया।। वो गली थी आपकी। हमने अपना बना लिया।। वो दिल था आपका। पर रहता कोई और था।। मंजिल थे आप मेरे। पर किसी और ने पा लिया।।
यकीं करोगी…? कहो…यकीं करोगी…? गर कहूँ…ये तुम ही हो… लबों पर गुलों के शबनम सी चमकती ख़ुशगवार हवाओं में चिड़ियों सी चहकती पहली बारिश में सौंधी मिट्टी सी महकती आसमां में हुस्न-ए-महताब सी दमकती…ये तुम ही हो आँगन में सावन…
पीड़ित, मजबूर और गरीब किसान की आवाज़ भले ही अवरुद्ध हो जाए भ्रष्ट आवाज़ों के शोर में, परंतु उसकी थकी हुई आंखें उनकी दुर्दशा की तस्वीर दिखलाकर सदैव ही हमें भयभीत करती आयी हैं और करती रहेंगी। वो आंखें भोजन…
~~~”आँसू है आँखों का गहना “~~~ आँखों के आंसुओं को पलकों में सजाकर रखना, आंसू है आँखों का गहना, जो समझे कोई कीमत आंसू की, वहाँ जी भरकर बहने देना, जो न समझे कोई कीमत आंसू की, आंसू पीकर मुस्करा…
“अकेले चलने का हुनर जानते हैं हम ” ऐ मेरे हमनवा, मेरे हमराज तू सुन ले, तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ता हमसे, तो हमें भी कोई फर्क नहीं पड़ता तुमसे, एक जमाना था, जब तुझसे बिछड़ जाने से डरते थे…
तुम्हें लिखता हूँ तो शब्द नहीं होते मेरे पास तुम्हें गाता हूँ तो धुन नहीं होती मेरे पास लुँ अगर तुम्हें बाहों में तो काँप जाते हैं मेरे हाथ कहने को तो कोसों दूर हो लेकिन रहते हो तुम हरदम…
चीन देश से आई बीमारी सारे जगत में फैली बन के महामारी मौत का तांडव दिखा दिया इसने बड़े-बड़े डॉक्टर भी मजबूर है आगे जिसके बस अपने को करना है यह काम सामाजिक दूरी ही है इसकी रोकथाम दिन में…
माना कि तुम बहुत हो वीर मत छोड़ो तुम पत्थरबाजी के ये विषैले तीर पूरा विश्व हो चुका है अब तुम भी हो जाओ थोड़े से गंभीर राज-काज को चलने दो मत बनो इसके पीर माना कि तुम बहुत हो…
सुनो मां मुझे पता है मैं तुम जैसी नहीं हूं पर तुम जैसी बनना चाहूंगी तुम्हारे जैसे ही मां पूरी दुनिया का बोझ अपने सर लेना चाहूंगी
कोरोना के डर से चारों ओर मचा हुआ है हाहाकार नहीं जा रहे कोई घर के बाहर कोरोना वॉरियर्स की यही पुकार सोशल डिस्टेंस ही इसका उपचार उचित दुरी बना के रखलो यार घरवालों से करलो प्यार सेनेटाईज है प्रमुख…