कभी भर देती है झोली में खुशियां
कभी कर देती हो बेरंग सी दुनिया
कही मिलता नहीं पल भर का भी गम
कही लगता नहीं सुकून से बिल्कुल भी मन
होती रहती जिंदगी में कैसी भगदड़ है
जिंदगी तेरा हिसाब गड़बड़ है।।
कही छप्पन भोग में बैठे लोगों को
रास ना आता है खाना
कही एक एक निवाले को तरसे
मुंह में अन्न का ना हो एक भी दाना
कही साज सज्जा जो बरसे
कही तन पर वसन को तरसे
कैसा तेरा ताना बाना है
होती रहती जिंदगी में कैसी भगदड़ है
जिंदगी तेरा हिसाब गड़बड़ है।।
चाहिए सबको प्यार मोहब्बत
हरपल जिसको तरसे है
फिर जब मिले तो बिछड़े ऐसे
हो जाते अलग दो रास्ते जैसे
क्यों तू पल भर खुशियों से भर के
फिर से मोह में डाले है
होती रहती जिंदगी में कैसी भगदड़ है
जिंदगी तेरा हिसाब गड़बड़ है।।
है नहीं भरोसा तेरे एक पल का
फिर भी कितना इतराती है
अपने होने का घमंड ना जाने
क्यों हमको दिखलाती है
बख्श दो हमे अपनी इस उधारी से
दे दो कुछ हसीन पल
अपनी इस बाजारी से
करती क्यू हर परिस्थिति में अपनी ऐसे हड़बड़ है
जिंदगी तेरा हिसाब गड़बड़ है।।