“कोरोना का कहर “

◆◆”कोरोना का कहर “◆◆
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कोरोना तूने ये कैसा कहर मचाया है,
ये कैसी इऩ्किलाब लाया है,
तेरी तसव्व़ुर भी तसव्वुफ़ है

तू तोहफ़ा ताबि़श का लाया है,
कोरोना ये तेरी कैसी जुम्ब़िश है,
तुझे लाने वाला असफ़ार है,
और, इल़्लत निर्धन -दीन को ठहराया है,
कोरोना तूने ये कैसा कहर मचाया है।।

ये तेरी कैसी गुस्ताख़ी है,
इस सियासत की जा़बित के आगे,
न कोई इनकी जा़र सुनेगा,
न ही उनका जो़र चलेगा,
हम तो घरों में बंद है,
पर, क्या होगा उन बेचारों का,
क्या होगा उन लाचारों का,
जिनके लिए,
बंद है दरीचा, बंद है द्वार,
जिन्होंने बनाया आशियाना,
आज वो है बाहर,
कोरोना तूने ये कैसा कहर मचाया है,
ये कैसी इन्किलाब लाया है!!

विमान से बैठकर आया जो अज़नबी अज़ीम,
वो तो आइसोलेशन में बंद है,
देख कोरोना तेरा तास़ीर,
लोकडाउन में वो अज़हान अकिंचन,
वो सड़कें पर तंग है,
ये तेरे कहर से तो बच जायेंगें,
पर, भूख से मर जायेंगे,
कोरोना तूने ये कैसा कहर मचाया है !
ये कैसी इन्क़िलाब लाया है!!!

देख कोरोना मेरे देश के क्या हालात है,
न ही कोई इंतजाम, न ही राहत,
सूनी है सड़कें, शहर हैं देहात ,
ये कैसे हैं, अज़ीब सवालात,
क्या होगा उस ज़िल्लत -जलील की दलील का,
यहाँ हैं सारे बंद अदालात,
महफ़ूज है पासपोर्ट,
दर-बदर है राशनकार्ट,
कोरोना तूने ये कैसा कहर मचाया है,
ये कैसी इन्क़िलाब लाया है!!!!

चारों ओर सन्नाटा छाया है,
ये कैसा भूचाल आया है,
सबकुछ ठहर-सा गया,
बंद है ट्रेन-ट्रक, बंद है जहाज,
बंद है इम्तिहान, बंद है राज-काज,
बंद है मंदिर, बंद है मस्जिद,
बंद है परस्तिश, बंद है नमाज,
ये खुदा का आगाज है, या कुदरत भी नाराज,
यहाँ बेबस है कायनात,
कोरोना तूने ये कैसा कहर मचाया है,
ये कैसी इन्क़िलाब लाया है!!!!

शायद रज्जा़क ने फरियाद उनकी सुनी है,
क़फ़स का का़बिल परिन्दा आजाद है,
और अहेरी शाला में बंद है,
अब तो क़ातिल है हवा,
और दूरी को दवा बनाया है,
कोरोना तूने ये कैसा कहर मचाया है,
ये कैसी इन्क़िलाब लाया है!!!!!

रहम़ करना रहीम़ उन पर,
जो जन्नत से फ़रिश्ते बनकर आये है,
हकीम, रक्षक, मुहाफ़िज,
जो अपनी जान जोख़िम में डाले है,
हमारा मुल्क व सबकी जान बचा रहे है,
फिर भी तरह-तरह के ताने सून रहे है,
कोरोना तूने ये कैसा कहर मचाया है,
ये कैसी इन्क़िलाब लाया है!!!!!!

इटली, स्पेन, अमेरिका जैसी,
परमाणु महाशक्ति को हिलाया है ,
दुनिया का जर्रा-जर्रा कांप रहा है,
लाशों के ढेर पड़े है, शवागार भर गये है,
हिफ़ाजत को बेबस हो रहे है,
क़िया़फ़त को यूँ डगमगाया है,
क्या चीन ने ऐसा कोई राज छुपाया है,
विश्व युद्ध -सा हाल बनाया हैं,
कोरोना तूने ये कैसा कहर मचाया है,
ये कैसी इन्क़िलाब लाया है!!!!!!!

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