तो शायद मैं खुश हो जाती,
गर होती उस भूखे बच्चे की थाली में रोटी,
तो शायद मैं खुश हो जाती।
गर देख लेती उस बूढ़ी माँ के साथ खेले पोता पोती,
तो शायद मैं खुश हो जाती।
गर देख लेती इस देश में कम होते फरेब और डकेती
तो शायद मैं खुश हो जाती ।
और गर रुक जाता वो मेरा प्यार,
और देख लेता पलट एक बार
तो शायद मैं खुश हो जाती ।
पर आज पनीर नही,दाल में ही खुश हूँ।
इस डूबते संसार की गहराइयों में खुश हुँ।
वो पास नहीं,उसकी झलक मे खुश हु,
सपने साकार ना हो पाए तो क्या,
मैं सपने बुनने में खुश हु।
गरीब को अपनी रोटी बाटने से खुश हूँ,
दोस्तो,दिल तो दिल होता है,
मैं खुश ना सही तो, उसे हंसता देख मैं खुश हुँ।
-shrangarika Sharma
Pyara ❣️….so beautiful lines…
These lines are very beautifully written..❤️❤️
Awwwh, I loved this one.
It was so beautiful and sweet.
Everything flowed very well and the imagery was a joy to read.
As always, a wonderful❤
Thankyou so much for such over whelming response 💫
Beautifully penned ❤
👌👌
Thankyou baby❣️
Bohot hi pyara likha h yr ❤ ….. So proud of u chingles …..