‘Mere Kalam Se Mere Khayalon Ka Pta Mat Pucho’

हो दिल में गर तुम्हारे तो मेरी रज़ा मत पूछो,

मेरी कलम से मेरे ख्यालों का पता मत पूछो,

काफी अरसे से हूं मैं साथ तुम्हारे,

मुमकिन पर अधूरे ख्वाब वो सारे, 

उन काफ़िर सवालों के जवाब बेचारे,

हो भरोसा मुझपर तो इसकी वजह मत पूछो,

मेरे कलम से मेरे ख्यालों का पता मत पूछो!

बेकल ख्यालों से तुम्हारे लड़ाई है हमारी, 

बेसुध में भी बेचैन करती है ये मेरी बेकरारी, 

बेवफाई का आलम है इस ज़माने में पसरा कुछ ऐसे, 

जो खुदसे ना हो तो मुझसे मेरी वफ़ा मत पूछो, 

मेरे कलम से मेरे ख्यालों का पता मत पूछो!

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31 Comments

  1. लाज़वाब है ये अल्फाज़ो का क़िस्सा जो आपने बनाया है ,
    बहुत ख़ूब

  2. Your words are soul lamps. 🙂🙃

    अगर ज़िन्दगी से

    कभी गुम ना तेरी परछाई होगी

    ठहरी हुई वक़्त में तेरी यादें होंगी

    सिमटी तेरी कमियाबी होगी

    शायद तब तेरा पता,
    तेरे कलम की सियाही होगी।।।

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