तेरा कर्म है पुरुषार्थ का
तेरा धर्म है पुरुषार्थ का
तू पार्थ है परमार्थ का
तू युगपुरुष है राष्ट्र का
उठ और बड़ा कदम
दे परिचय अपने स्वाभिमान का
है तुझमें वह बल
जो नदी की धारा को मोड़ दे
इस ब्रह्मांड को अपनी मुट्ठी में बंद कर निचोड़ दें
होगी नहीं जीत इतनी आसान
कि कोई तुम्हें तोहफे में परोस दें
मानव सबल है तू
संघर्ष करना जानता
बस फर्क यही है कि
तू खुद अपने को नहीं पहचानता
होगा एक दिन तेरा भी नाम
बस अपना धर्म निभाये जा
अपना कर्म किए जा…..
पंकज/महावीर शर्मा जी नमुकिया श्रेष्ठ रचना हैआपकी…
बहुत-बहुत धन्यवाद जी
Nice poem…sir ji
अति उत्तम
Vry nice sir ji.👌🏻
बहुत-बहुत धन्यवाद जी
Kya khub likhi h
Dhnyawaad sir ji
शानदार सर जी
Ati uttam sir ji
Dhnyawaad sir ji
Bilkul Sahi Kha karm hi Pooja ha…
आपकी रचना अति सुंदर है एक व्यक्ति का कर्म ही महान बनाता है और आगे बढ़ाता है
Kya mst poetry h well done
बहुत-बहुत धन्यवाद आपका प्यार और स्नेह बना रहे आपका आशीर्वाद बना रहे और आपके मार्गदर्शन में सदा आगे बढ़ता रहुँ…
बहुत ही उम्दा रचना है, कर्म से ही व्यक्ति की पहचान है, कर्म ही पुजा है, जीवन का सार है
Atti uttam sir ji
very nice poetry sir
100% right sir ji
Aaati Uttam…sir
Kyaa Uttam vichar h Aapke or fir unko kagaj pr utaarna ..!!
whaa Bhai whaa bhai
आप सभी का धन्यवाद
very nice
Shandar
It’s vry amazing poem
Thanks all of
A1
Very nice sir ji
Jordar
Very nice poetry
Nice thought
Excellent
Thanks
Nice
Nice poem sir ji
Good think & nice poem
Nice
Gjb sir ji
Good work bhai shab
Thanks sabhi ko
Aapke mhan vichro se tho soya hua insan bhi krm ke prti purn smrpn kr de…… U are great….
karma hi pooja ha sir
kuch bhi kaho baat me dam ha sir
जो जागत है वो पावत है|
जो सोवत है वो खोवत है||
बहुत ही बेहतरीन तरीके से आपने अपने विचारों को सबके सामने रखा है|और पुरुषार्थ ही मानव को महान बनाता है|
बहुत बहुत बधाई हो सर जी…
Great ho sir aap or aapki poetry
Nice line