अपना लो प्रेम का रास्ता

*अपना लो प्रेम का रास्ता*

 

हम चाहते है प्रेम का गठबंधन सबसे
मांगे हम रोज़ दुआ यही रब से
क्या रखा है टूटे दिल के हारों में
क्या रखा है भीषण नर संहारो में
अपना लो प्रेम का रास्ता,अभी भी समय पड़ा है
मानलो सबको बराबर, कौन छोटा कौन बड़ा है।।

पत्थर आपस मे टकरा रहे है
चिंगारिया प्रज्वलित कर रहे है
कहि आग न बन जाये ये चिंगारी
डूबा न दे हमे नित् बढ़ती नफ़रत हमारी
हर घर के दर पर अब यमराज खड़ा है
अपना लो प्रेम का रास्ता,अभी भी समय पड़ा है
मानलो सबको बराबर, कौन छोटा कौन बड़ा है।।

खून की नदिया बहाने को उतावले बैठे है
कब-किससे-कैसे लड़े, तैयार सब रहते है
लड़ने की इच्छा रखने वाले खुद को वीर बताते है
कमज़ोर बे-सहारा लोगो को कायर कहकर बुलाते है
बेमतलब की दुनिया मे कौन कहा खड़ा है
अपना लो प्रेम का रास्ता,अभी भी समय पड़ा है
मानलो सबको बराबर, कौन छोटा कौन बड़ा है।।

विपदा में कोई आता नही बचाने को
ढेरो फोन मिल जाएँगे वीडियो बनाने को
हर चीज़,हर घटना में नजर आती है मस्ती
कलयुग के इस संसार मे जिंदगी हो गयी इतनी सस्ती।
बेर लिए मन में हर कोई यहां पड़ा है
अपना लो प्रेम का रास्ता,अभी भी समय पड़ा है
मानलो सबको बराबर, कौन छोटा कौन बड़ा है।।

साथ बैठने वाले ही पीछे से बोला करते है
प्रेम नही है दूर-दूर तक, बस विष ही घोला करते है
सुख में मीठा बोलने वाले विपदा में रंग दिखाते है
गली -गली में खुले आम अब हुनर-ऐ-जंग सिखाते है।।
जीवन की इस कड़ी में दिखावा ही सबसे बड़ा है
अपना लो प्रेम का रास्ता,अभी भी समय पड़ा है
मानलो सबको बराबर, कौन छोटा कौन बड़ा है।।

अटी पड़ी है दुनिया सारी इन जहरीले नागो से
नाजुक हो गए रिश्ते अब दिखते है कच्चे धागों से
चापलूसी के पलड़ों में रिश्तो को तौला जाता है
गया जमाना जीभ का अब कागज में ही बोला जाता है।
सादगी वाले जीवन का अब स्वाद किसको पड़ा है।
अपना लो प्रेम का रास्ता,अभी भी समय पड़ा है
मानलो सबको बराबर, कौन छोटा कौन बड़ा है।।

About The Author(s)

Share Your Voice

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *