ये कैसा दौर चल रहा है, हर तऱफ बस धुंआ है
मिट रही है इंसानियत सब में, खत्म हो रहा ये जहां है।
कोरोना ने ये खेल कैसा खेला
झेल रहा है देश ये मेरा
क्या मिट जायेगी हस्ति हमारी
सबमे ये भय है फैला।
फिल्मो की वो काल्पनिकता
मानो सच होने जा रही है
पहले हमने बनाई मशीने
अब मशीने हमे चला रही है।
सम्भल जाओ अब मेरे यारों
कुछ गलतियां की है उन्हें सुधारों
अपना लो अपनी संस्कृति वापिस
इस पाश्चात्य से खुद को बचालो।
मोदी अकेला क्या करेगा
हमे भी कुछ करना है
कोरोना की इस चपेट से
देश को अलग करना है।
आओ शपथ लेते है इसी पल
साथ रहेंगे आज हो या कल
नही मिटने देंगे ये जहां
डट कर लड़ेंगे हम यहाँ।।
जय हिंद 🙏🏼🚩