“राह्-ए-सफ़र हैं जिंदगी “
राह्-ए-सफ़र हैं जिंदगी,
न कि मंजिल हैं जिंदगी!
कभी बचपन तो, कभी जवानी -सी जिंदगी,
कभी ख़त्म कहानी-सी जिंदगी!!
कभी सरताज तो, कभी मोहताज-सी जिंदगी,
कभी महफिल तो, कभी तनहाई -सी जिंदगी,
राह्-ए-सफ़र हैं जिंदगी,
न कि मंजिल हैं जिंदगी!!
कुछ राज छुपाती हैं जिंदगी,
कुछ हिसाब बताती हैं जिंदगी!!
कभी घनघोर अंधेरा -सी जिंदगी,
तो, कभी भोर का तारा-सी जिंदगी,
राह्-ए-सफ़र हैं जिंदगी,
न कि मंजिल हैं जिंदगी!!
कुछ दर्द आग की तरह जलाती हैं जिंदगी,
तो, कुछ खुशियाँ फूलों की तरह सजाती हैं जिंदगी !!
कभी हालात बिगाड़ती हैं जिंदगी,
तो, कभी हालात संवारती हैं जिंदगी!!
कभी पतझड़ -सी जिंदगी,
तो, कभी बंसत की बहार-सी जिंदगी,
राह्-ए-सफ़र हैं जिंदगी,
न कि मंजिल हैं जिंदगी!!
कभी मोहर्रम -सी जिंदगी,
तो, कभी दिवाली-सी जिंदगी,
कभी अपनी तो कभी,
दूसरों की मतवाली-सी जिंदगी!!
कभी संगीत तो,कभी सरगम -सी जिंदगी,
कभी रित तो, कभी सच्ची प्रीत -सी जिंदगी!!
कुछ लफ़्जों का सार,
तो, कुछ निबंधों का उपसंहार -सी जिंदगी,
राह्-ए-सफ़र हैं जिंदगी,
न कि मंजिल हैं जिंदगी!!
कभी राही तो, कभी महलों की रानी-सी जिंदगी,
कभी कागज की कश्ती, तो कभी नदी का किनारा-सी जिंदगी,
कभी ज्ञानी तो, कभी आवारा-सी जिंदगी!!
कभी ख्वाब पूरे तो, कभी अधूरी ख्वाईश -सी जिंदगी,
कभी गुलाब का बिस्तर तो,
कभी समस्याओं का सेट-सी जिंदगी,
राह्-ए-सफ़र हैं जिंदगी,
न कि मंजिल हैं जिंदगी!!
written By:-VIMLA CHOUDHARY.
So nice poem my lovely sister
Thanks dear sister 😍
Shandar,
Jandar,
Asardar…👌🏻👌🏻👌🏻
Thanks bhaiya 🙏🏻🙏🏻