शक्ति की उपासना और स्त्री।

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शक्ति की उपासना और स्त्री। नवरात्र के नौ दिवसीय आयोजन में हम देवी की उपासना विभिन्न रूपों में करते हैं। देवी के प्रथम रूप शैलपुत्री से लेकर नौवें रूप सिद्धरात्रि तक की उपासना हमारे आधात्यमिक,धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना को प्रबल…

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की 3 प्रसिद्ध कविताएं |

प्रसिद्ध साहित्यकार, कवि जिनकी लेखनी में अत्यंत धार है, व्यंग्य के क्षेत्र में अद्भुत रूप से लेखनी चलाने वाले आदरणीय सर्वेश्वरदयाल सक्सेना जी को उनके जन्मदिवस पर उन्हीं के शब्दों में सादर नमन। मेघ आए बड़े बन-ठन के संवर के…

हिन्दी को तिलांजलि क्यूं दिया जा रहा है ?

हमारे देश में जिस भाषा को राजभाषा का दर्जा दिया गया है, जिस भाषा का गुणगान विश्व पटल पर होता है। वर्तमान में उसी भाषा पर भारी संकट आता दिखाई पड़ रहा है। हिन्दी भाषा ने ही भारत को गौरवान्वित…

हिन्दी साहित्य का बदलता हुआ स्वरूप !

हिन्दी साहित्य के लगभग ग्यारह बारह सौ वर्षों के इतिहास में भारतीय समाज ने कई रंग बदले। यह बदलाव भावनाओं, विचारों, रहन-सहन के स्तर, लोक-व्यवहार, सामाजिक बनावट और सोच के स्तर के साथ ही साथ बदलते राजनीतिक ढ़ाँचे, भौतिक विकास…

मुंशी प्रेमचंद का स्थान अग्रगण्य साहित्यकारों में सर्वोपरि है |

हिंदी गद्य साहित्य के सर्वांगीण इतिहास में मुंशी प्रेमचंद का स्थान अग्रगण्य साहित्यकारों में सर्वोपरि है । प्रेमचंद जी ने अपने साहित्य के माध्यम से जनसामान्य की समस्याओं और पीड़ाओं को यथार्थ रूप से चित्रित किया । उनकी कथाएं और…

कारगिल विजय दिवस

देश के जवान वीरों का शौर्य देशवासियों के उमंग का ही पुन्जिभूत रूप है। कारगिल में यही उमंग पुंज वीरों के अनुपम शौर्य व बलिदान से अमर गाथा बन चुका है। जिसे कह– सुनकर हर देशवासी गर्व से रोमांचित हो…

रामधारी सिंह ‘दिनकर’

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे।वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। दिनकर’ जी का जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया गाँव में हुआ था ‘दिनकर’ स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए…

सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म बंगाल की महिषादल रियासत (जिला मेदिनापुर) में 21 फ़रवरी सन 1809 में हुआ था। इन्होंने 1920 ई के आस पास लेखन कार्य आरम्भ किया तथा निराला ने प्रथम रचना के रूप में विख्यात जूही की…

कामायनी की प्रासंगिकता

आधुनिक परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित कामायनी की प्रासंगिकता जयशंकर प्रसाद छायावाद चतुष्ट्य के प्रमुख कवि हैं । छायावादी काव्यधारा में उनका अग्रगण्य स्थान माना जाता है । इनका जन्म वाराणसी के प्रसिद्ध वैश्य परिवार “सुंघनी साहू…

बाबा नागार्जुन: वैद्य नाथ मिश्र

‘वैद्य नाथ मिश्र’ जिन्हें हम बाबा नागार्जुन के नाम से भी जानते हैं | 30 जून 1911 में बिहार के दरभंगा जिला में जन्में मैथली भाषा के महान कवि और उपन्यासकार हुए जिन्होंने अनेक जन-जीवन के समस्याओं को उजागर किया…