रिश्तों का एहसास समझ लिया करो “
“रिश्तों का एहसास समझ लिया करो “ “गज़ल” माना कि, हम तुम्हारे नहीं हैं, पर, इतना भी गैर मत समझा करो।। नहीं आस रही किसी से कि, कोई हमारी फिक्र करें, पर, जरा-सी कद्र तुम भी कर लिया करो।। गुमसुम…
“रिश्तों का एहसास समझ लिया करो “ “गज़ल” माना कि, हम तुम्हारे नहीं हैं, पर, इतना भी गैर मत समझा करो।। नहीं आस रही किसी से कि, कोई हमारी फिक्र करें, पर, जरा-सी कद्र तुम भी कर लिया करो।। गुमसुम…
~~~”माँ की मोहब्बत “~~ “ग़ज़ल “ भरने को तो हर जख्म भर जाता है, मगर, माँ जो मरहम लगाती हैं, वो”दवा”माँ के सिवा कहीं ओर नहीं!! मेरे शब्दों में हर शब्द की इक मंजिल लिख दूँ मैं, मगर, संस्कार और…
तुझे पाक सिपारा कहूँ, या कहूँ मैं वज़ू का पानी. तेरा मकाम सब से आला, है आला तेरी कहानी कभी माँ बन के तूने,मुझे आँचल मे है छुपाया कभी रो पड़ी थी तुम भी,किया मैने जब नादानी मेरे इफलास के…
उन आंखों के सदके पे सारी रैन कुर्बान महज़ हमारी नींद क्या, सारा चैन कुर्बान वो लब जब हमारी छुअन में सुर्ख हो सिसकते हैं तब हमारे सितारों से खुद सितारें भी किलसते है हुस्न नवाब, इश्क़ शबाब और वो…
सब्त हैं बदन पर नक़श ए बेवफाई वह कै़द-ए-शहर-ए-इंसाँँ से मांगता रिहाई मोहब्बत रिफाक़त इनसानियत ये क्या हैं इंसान ने इंसान से है नफरत कमाई एक बेनाम भूखी भीड़, एक मासूम निवाला किसने ये सड़क पर मौत की नुमाइश है…