ईद का चांद ईदी को है लेने आया।
जहाँ में मोहब्बत का पैगाम है लाया।।
जला करके खुद को एक पैगाम देने।
जहाँ को जहाँ से मिलाने है आया।।
यादों में जिनकी जला रात भर है।
दीदार उनका है करने को आया।
ईद का चांद ईदी को है लेने आया।।
ईद मुबारक!!
About The Author(s)
मेरा नाम अविरल अभिलाष मिश्र है।
मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी (सांध्य) कॉलेज से स्नातक किया है, वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय के साउथ कैंपस से परास्नातक कर रहा हूं।
नीलंबरा (कॉलेज मैगज़ीन) का संपादक भी रहा हूं।
इस समय साऊथ कैंपस हिंदी विभाग का छात्र प्रतिनिधि हूं तथा अनवॉइस्ड मीडिया के हिंदी संपादक के रूप में अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहा हूं।
सादर!!