वो चला गया दूर तुमसे, काश की तुमने रोका होता।
वो खामोश था जाने क्यों, काश की तुमने टोका होता।
वो रोता रहा पर एक भी लफ़्ज़ नही कही उसने,
बड़ा मजबूर था वो शख्स, काश की तुमने सोचा होता।
खुद ही रूठना, खुद ही मान जाना,
ये काम सनम आसान नही था,
तेरी बेरुखी सहना, फिर भी चुप रहना
वो मजबूर था, अनजान नही था।
वो तेरे आंसू तक न गिरने देना,
काश की उसके आसुओं को तुमने भी पोछा होता
वो रोता रहा, पर एक लफ्ज़ न कहा तुमसे,
बड़ा मजबूर था वो शख्स, काश की तुमने सोचा होता।